कभी ज़िन्दगी में ऐसे मोड़ आते है
सारी दिशायों को सुनसान हम पाते है
सितारे अपने गर्दिश में नज़र आते है
और अपने हर निर्णय पे हम सिर्फ निराशा ही पाते है
दर्द की अब पहचान खत्म होने लगी है
चाहतें अपनी जो हर बार ही दम तोड़ने लगी है
अपनी किस्मत को अब और क्या कोसे
जब मिले हैं ज़िन्दगी से हर कदम पे धोके
आँखों में आंसू लिए तन्हा अब रहते है
इस दर्द को बेखबर होके हम सहते है
अब दुःख से सम्बंध कुछ ऐसा जोड़ बैठे है
झूठी ख़ुशी के लिए अपनी हार को ही जीत समझ बैठे है